‘जेहाद’ और ‘काफ़िर’ के बारे में गुमराह करने Times of India के Radio Mirchi का इस्तेमाल करती RJ सायेमा

लगभग पूरी दुनिया जानती-समझती है कि इस्लाम में जेहाद और काफ़िर शब्दो का क्या मतलब है. बार-बार होने वाली आतंकवादी घटनाएँ, आतंकियो और कठमुल्लों की तकरीरें और उनसे मिलने वाले लिटरेचर इन शब्दों का मर्म और घातकता देश दुनिया को समझा चुके हैं. और इनसे उपजी ज़हालत को दुनिया भुगत चुकी है.

RJ Sayema Photo: Star Unfolded
लेकिन, जायज़-नाजाज़ तरीकों से इन शब्दों और उनकेपीछे छिपी मानसिकता को सही ठहराने वाली कुछ ताकते लोगों को भ्रमित करने में लगी हुई हैं. इस में भी हैरानी की बात ये है कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूह का बेज़ा इस्तेमाल भी हो रहा है !  टाइम्स समूह का एक FM रेडियो चैनल है- रेडियो मिर्ची. इसी चैनल पे एक कार्यक्रम चलता है-उर्दू की पाठशाला. इसकी होस्ट हैं RJ सायमा. 

यदि सायेमा के बारे में नहीं जानते हो तो बता देते हैं कि CAA कानून के विरोध में भी यह काफ़ी मुखर थी. CAA और विरोधी धरनो की परिणति दिल्ली में भयानक हिंदू-विरोधी दंगो के रूप में हुई थी. हाल ही में मशहूर गीतकार मनोज़ मुंतशिर का भी सायमा ने विरोध किया था.  क्योंकि मनोज ने भारतीय इतिहास को सही और संतुलित परिपेक्ष्य में रखने की वकालात की थी. 

आपको ये जानकर हँसी आएगी और हैरानी भी होगी कि, बड़ी चतुराई के साथ RJ सायेमा किस सफ़ाई के साथ जेहाद और काफ़िर जैसे शब्दों और उनके पीछे छिपी मानसिकता व एजेंडे की क्रूर सचाई को छिपा रही है. वह इसे एक आम शब्दों के रूप में लेने का दुराग्रह तो कर ही रही है, लोगों को गुमराह भी कर रही हैं कि, इसका मतलब ऐसा नहीं, वैसा होता है ! इन दो शब्दों के बहाने दुनियाभर में गैर-मुस्लिमों का कत्लोग़ारात करने वाले,खुद को जेहादी कहने वाले आतंकवादियों को दरकिनार करती हुई साफ़ नज़र आती है. उनके मुताबिक़ 'जेहाद' एक मामुली संघर्ष को कहते हैं. वहीं, 'काफ़िर' कोई गैर-मुस्लिम नहीं, बल्कि किसी चीज़ को छिपाने वाले को कहते हैं. 

ऐसे ही हास्यास्पद तर्को के साथ पेश है रेडियो मिर्ची के युट्युब चैनल पर सायेमा का वीडियो:

सोचने लायक बात तो ये है कि, टाइम्स समूह अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किसी आरजे के मज़हबी एजेंडे के लिए क्यो करने दे रहा है?

दूसरी तरफ़ जेहाद और काफ़िर के बारे में इस्लाम का अध्ययन करने वाले जाने-माने एक्सपर्ट्स की राय अलग ही है. कुछ देखने लायक ये चुनिंदा वीडियो ज़रूर देखें, जो सायेमा के दावे की पोल खोल देते हैं:  

1) JAMBOO Talks with Nidheesh Goyal

श्री महावीर प्रसाद जैन - मूर्धन्य इतिहासकार एवं लेखक प्रमुख - भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति

2) Neeraj Atri

Understanding Jihad/जिहाद का अर्थ | With Shankar Sharan & Neeraj Atri

सवाल ये भी है कि, क्या सायेमा जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी अपने हम-मज़हब भाइयो-बहनो को समझाने के लिए कोई कोशिश करेंगे, या मस्जिदों, मदरसो में इसके लिए कोई अभियान छेड़ेंगे या फिर ये ज्ञान गैर-मज़हबी लोगों के लिए ही हैं?

  

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