लगभग पूरी दुनिया जानती-समझती है कि इस्लाम में ‘जेहाद’ और ‘काफ़िर’ शब्दो का क्या मतलब है. बार-बार होने वाली आतंकवादी घटनाएँ, आतंकियो और कठमुल्लों की तकरीरें और उनसे मिलने वाले लिटरेचर इन शब्दों का मर्म और घातकता देश दुनिया को समझा चुके हैं. और इनसे उपजी ज़हालत को दुनिया भुगत चुकी है.
आपको ये जानकर हँसी आएगी और हैरानी भी होगी कि, बड़ी चतुराई के साथ RJ सायेमा किस सफ़ाई के साथ ‘जेहाद’ और ‘काफ़िर’ जैसे शब्दों और उनके पीछे छिपी मानसिकता व एजेंडे की क्रूर सचाई को छिपा रही है. वह इसे एक आम शब्दों के रूप में लेने का दुराग्रह तो कर ही रही है, लोगों को गुमराह भी कर रही हैं कि, इसका मतलब ऐसा नहीं, वैसा होता है ! इन दो शब्दों के बहाने दुनियाभर में गैर-मुस्लिमों का कत्लोग़ारात करने वाले,खुद को जेहादी कहने वाले आतंकवादियों को दरकिनार करती हुई साफ़ नज़र आती है. उनके मुताबिक़ 'जेहाद' एक मामुली संघर्ष को कहते हैं. वहीं, 'काफ़िर' कोई गैर-मुस्लिम नहीं, बल्कि किसी चीज़ को छिपाने वाले को कहते हैं.
ऐसे ही हास्यास्पद तर्को के साथ पेश है रेडियो मिर्ची के युट्युब चैनल पर सायेमा का वीडियो:
दूसरी तरफ़ जेहाद और काफ़िर के बारे में इस्लाम का अध्ययन करने वाले जाने-माने एक्सपर्ट्स की राय अलग ही है. कुछ देखने लायक ये चुनिंदा वीडियो ज़रूर देखें, जो सायेमा के दावे की पोल खोल देते हैं:
1) JAMBOO Talks with Nidheesh Goyal
श्री महावीर प्रसाद जैन - मूर्धन्य इतिहासकार एवं लेखक प्रमुख - भारतीय
इतिहास संकलन योजना समिति
Understanding
Jihad/जिहाद का अर्थ | With Shankar Sharan & Neeraj Atri
सवाल ये भी है कि, क्या सायेमा जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी अपने हम-मज़हब भाइयो-बहनो
को समझाने के लिए कोई कोशिश करेंगे, या मस्जिदों, मदरसो में इसके लिए कोई अभियान छेड़ेंगे या फिर ये ज्ञान गैर-मज़हबी लोगों के
लिए ही हैं?
0 टिप्पणियाँ